होम्‍योपैथी चिकित्‍सा के जन्‍मदाता सैमुएल हैनीमेन है

होम्योपैथी एक विज्ञान का कला चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथिक दवाइयाँ किसी भी स्थिति या बीमारी के इलाज के लिए प्रभावी हैं; बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययनों में होमियोपैथी को प्लेसीबो से अधिक प्रभावी पाया गया है। होम्‍योपैथी चिकित्‍सा के जन्‍मदाता सैमुएल हैनीमेन है।

भारत होम्योपैथिक चिकित्सा में वर्ल्ड लीडर हैं।

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की शुरुआत 1796 में सैमुअल हैनीमैन द्वारा जर्मनी से हुई। आज यह अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी में काफी मशहूर है, लेकिन भारत इसमें वर्ल्ड लीडर बना हुआ है। यहां होम्योपथी डॉक्टर की संख्या ज्यादा है तो होम्योपथी पर भरोसा करने वाले लोग भी ज्यादा हैं।

होम्योपैथी मर्ज को समझ कर उसकी जड़ को खत्म करती है।

होम्योपैथी मर्ज को समझ कर उसकी जड़ को खत्म करती है। होम्योपैथी में किसी भी रोग के उपचार के बाद भी यदि मरीज ठीक नहीं होता है तो इसकी वजह रोग का मुख्य कारण सामने न आना भी हो सकता है।

होम्योपथी दवा मीठी गोली में भिगोकर देते हैं

होम्योपथी हमेशा से ही मिनिमम डोज के सिद्धांत पर काम करती है। इसमें कोशिश की जाती है कि दवा कम से कम दी जाए। इसलिए ज्यादातर डॉक्टर दवा को मीठी गोली में भिगोकर देते हैं क्योंकि सीधे लिक्विड देने पर मुंह में इसकी मात्रा ज्यादा भी चली जाती है। इससे सही इलाज में रुकावट पड़ती है।

डॉक्टरी परामर्श से इसका सेवन किसी भी दूसरे मेडिसिन के साथ कर सकते हैं।

होम्योपैथी की सबसे खास बात है कि आप डॉक्टरी परामर्श से इसका सेवन किसी भी दूसरे मेडिसिन के साथ कर सकते हैं। इससे किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं होता।

मुकुट चक्र ( फ़ायदे / समस्याएं / ध्वनि ) - Sahasrara Chakra / Crown Chakra Healing in hindi


मुकुट चक्र हमारे सिर के ऊपर स्थित होता है इसी कारण इसे क्राउन चक्र कहते है। क्राउन का हिंदी में अर्थ “सिर का ताज” होता है। क्राउन चक्र हमारी चेतना का आखिरी केंद्र है और इस शरीर का आखिरी द्वार है। इसे ब्रह्म रंद्र और सहस्रार चक्र भी कहा जाता है।

मुकुट चक्र (सहस्रार चक्र) 1000 पंखुड़ियों वाले एक फूल की तरह हमारे सिर के उपर क्लॉक वाइज घूमता रहता है। यह चक्र भगवान/यूनिवर्स के साथ जुड़ा हुआ रहता है। भगवान के द्वारा भेजे जाने वाले सन्देश इसी चक्र के द्वारा हमें प्राप्त होते है।

इस आर्टिकल में मैं आपको उन सभी तरीकों के बारे में बताऊंगा जिनसे आप जान पाएंगे कि अपने स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कर पाएंगे .

क्राउन/मुकुट चक्र को संतुलित करने की ध्वनि

क्राउन/मुकुट चक्र जाग्रत होने के फायदे


भगवान के द्वारा निरंतर दिशा निर्देश मिलना या आभास होना।

खुद के जीवन लक्ष्य का ज्ञान होना।

व्यक्ति को इस बात का अहसास होता है कि केवल भगवान ही सत्य है और मेरा परिवार, पैसा, संतान केवल कुछ समय के लिए मेरे साथ है।

व्यक्ति में त्याग और परोपकार की भावना जाग्रत होती है।

जीवन में दूर तक देखने की शक्ति प्राप्त होती है जैसे बड़ी-बड़ी कंपनियों के CEO, बिज़नेस Men, देश के बड़े नेता आदि कोई भी काम आगे आने वाले 10 से 20 वर्षो की सोच कर करते है।

छोटे और बड़ो के प्रति सम्मान की भावना पैदा होती है।

क्राउन/मुकुट चक्र जाग्रत ना होने से नुकसान

1. मानसिक नुकसान

भगवान से दूर होना अथवा भगवान में भरोसा ही ना होना।

जीवन में कोई स्पष्ट लक्ष्य ना होना (केवल खाने-पीने और मौज मस्ती में ध्यान रहना)

दिमाग के सम्बंधित समस्याए होना जैसे डिप्रेशन, तनाव, चिंता, सिर दर्द आदि।

दिमाग द्वारा शरीर को कण्ट्रोल करने की क्षमता का कम होना।

किसी भी व्यक्ति पर विश्वास ना कर पाना।

स्वार्थी भाव होना और जीवन में मानवता का अभाव होना।

किसी के भी प्रति दया भाव ना होना।

जीवन में किसी बड़े लक्ष्य को पाने के लिए खुद को तैयार ना कर पाना।

व्यक्ति में जीवन मूल्यों, नैतिक गुणों और मोटिवेशन की कमी होना।

2. शारीरिक नुकसान

सिर के ढ़ाचे से सम्बंधित कोई समस्या होना।

त्वचा से सम्बंधित कोई समस्या होना।

शरीर पर प्रकाश, आवाज और वातावरण का अत्यधिक प्रभाव पड़ना।

मानसिक संतुलन खो देना।

सिर में कैंसर, ट्यूमर या कोई बड़ी बीमारी का होना।

नोट : जरुरी नही है कि उपर बताये गये सभी फायदे और नुकसान प्रत्येक व्यक्ति में समान रूप से हो इनका प्रभाव अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग होता है।

क्राउन चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

सिर और दिमाग का ऊपरी हिस्सा।

सेरेब्रल कोर्टेक्स (यह हमारी भाषा, सोच, रीजनिंग क्षमता आदि को कण्ट्रोल करता है)

सेरीब्रम (यह शरीर के मूवमेंट और ढ़ाचे को कण्ट्रोल करता है)

पिट्यूटरी ग्रंथि (यह शरीर में हार्मोन्स के बीच संतुलन बनाकर रखती है)

पीनियल ग्रंथि (यह शरीर की ग्रोथ और उसे युवा बनाने का कम करती है)

शरीर का नर्वस सिस्टम

सिर के बाल और त्वचा

दिमाग के अन्य सारे अंग भी क्राउन चक्र से जुड़े रहते है


क्राउन/मुकुट चक्र को जाग्रत करने के निम्न तरीके है

1. बड़ो के आशीर्वाद के द्वारा क्राउन चक्र को जाग्रत करें
भारतीय संस्कृति के अनुसार जब भी हम अपने बड़े से मिले तो हमें उनके पैर छुकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए क्योंकि आशीर्वाद देते समय बड़े लोग अपना हाथ छोटो के सिर पर रखते है। बड़ो का आशीर्वाद क्राउन चक्र के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करता है।

बड़ो के आशीर्वाद से हमारे क्राउन चक्र को ऊर्जा मिलती है और वह जाग्रत होता है। इसलिए हम बड़ो से जितना अधिक आशीर्वाद लेंगे हमारा क्राउन चक्र उतना ही जल्दी जाग्रत होगा।

2. ध्यान के द्वारा क्राउन चक्र को जाग्रत करें
हमारे शरीर में 7 चक्र होते है जिनका अलग-अलग कार्य होता है। प्रथम 6 चक्रों को जाग्रत करने के लिए अलग-अलग मंत्र होता है। लेकिन क्राउन चक्र के लिए कोई मंत्र नही होता वैसे ओम (Ohm) को इसका मंत्र माना जाता है जो कि तीसरी आँख का मंत्र होता है।

क्राउन चक्र का ध्यान करने के लिए आपको शांति से एक स्थान पर बैठकर अपनी आखें बंद करके क्राउन चक्र पर ध्यान को लगाना होता है। अगर आपको ध्यान लगाने पर अपने सिर के उपरी हिस्से में चीटियाँ चलने का आभास होता है तो इसका मतलब है कि आपका क्राउन चक्र थोड़ा जाग्रत है।

लेकिन अगर ऐसा नही होता तो आपको अपने हाथ की अंगुलियों के द्वारा क्राउन चक्र पर धीरे-धीरे टैपिंग करनी है और उसके बाद आपको ध्यान के द्वारा ओम का उच्चारण करना है।

इस दौरान आपको अपना ध्यान सिर के ऊपरी हिस्से (चोटी) पर लगाना है, दोनों आँखों के मध्य में नही लगाना। लगभग 1 से 3 महीने में आपको अपने सिर के ऊपरी हिस्से में थोड़ा भारीपन या चीटियाँ चलने जैसा आभास होने लगेगा।

3. क्राउन चक्र प्रतिज्ञान
मैं परमात्मा का ही एक हिस्सा हूँ और हमेशा परमात्मा से जुड़ा रहता हूँ।

मैं परमात्मा के द्वारा दिए जाने वाले संकेतो को क्राउन चक्र के द्वारा समझ सकता हूँ।

मेरे अंदर परमात्मा की शक्ति मौजूद है और मैं उसका सम्मान करता हूँ।

मैं संसार की प्रत्येक वस्तु को अपने से दूर करने के लिए भी तैयार हूँ।

मैं हमेशा बहुत खुश रहता हूँ।

4. जरूरतमंद लोगो की सहायता के द्वारा और दुवाओं के द्वारा क्राउन चक्र को जाग्रत करें
क्राउन चक्र को जाग्रत करने में अगर कोई सबसे अधिक कारगर उपाय है तो वह है जरूरतमंद लोगो कि मदद करना और उनकी दुवाएं लेना।

जो व्यक्ति जीवन में जितनी अधिक दुवाएं लेता है भगवान उससे उतना ही अधिक खुश होता है और जब भगवान किसी व्यक्ति से खुश होते है तो उसका क्राउन चक्र जाग्रत भी जाग्रत कर देते है ताकि वो अपने मैसेज क्राउन चक्र के द्वारा उस व्यक्ति तक पंहुचा सके।

5. साक्षी भाव में रहकर क्राउन चक्र को जाग्रत करें
हमेशा सकारात्मक सोच रखे और वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश करें भविष्य और भूतकाल की बातें ज्यादा ना सोचे।

ईमानदारी से अपना काम करें और बड़ों के दिशा-निर्देशों का पालन करें।

अपने बड़ों का आदर और सम्मान करें।

कभी भी झूठ ना बोले, हमेशा सच का साथ देवें।

6. रेकी के द्वारा क्राउन चक्र को जाग्रत करें
बहुत सारे लोग ऐसे होते है जिनके क्राउन चक्र में बहुत ज्यादा समस्या होती है और वो खुद से क्राउन चक्र को जाग्रत नही कर पाते है तो ऐसे लोगो को रेकी मास्टर की मदद लेनी चाहिए।

रेकी मास्टर वह होता है जो मैडिटेशन के द्वारा तथा अपनी ऊर्जा के द्वारा दुसरे लोगो के चक्रों को जाग्रत कर सकता है। इन्टरनेट पर सर्च करने पर आपको अपने आस-पास के शहर में बहुत सारे रेकी मास्टर मिल जायेंगे।

7. खेचरी मुद्रा के द्वारा क्राउन चक्र को जाग्रत करें
खेचरी मुद्रा मैडिटेशन के दौरान लगाई जाती है जिसमे आपको अपनी जीभ को ऊपरी तालू के साथ टच करना होता है ऐसा करने पर मुख में एक रस निकलता है जिसे ब्रह्म रस कहा जाता है और इसमें अमृत जैसा मिठास आता है।

कुछ लोगो को ध्यान करते समय अपने खेचरी मुद्रा लग जाती है और उनके मुख के ऊपरी हिस्से से रस टपकने लगता है और गले से होकर पेट में चला जाता है।

क्राउन/मुकुट चक्र के द्वारा किसी भी बीमारी को कैसे ठीक करें

आपका क्राउन चक्र इतना शक्तिशाली है कि आप उसके द्वारा अपने शरीर में किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्या को ठीक कर सकते है।

क्राउन चक्र मैडिटेशन (कैसे करते है यह मैंने आपको ऊपर बताया है) के दौरान यह महसूस करें कि आपका क्राउन चक्र घूम (क्लॉक वाइज) रहा है और ब्रह्मांडीय ऊर्जा (सफ़ेद प्रकाश) आपके क्राउन चक्र से होती हुई आपके शरीर के उस अंग में जा रही है जिसमे कोई समस्या है और अपने उस शारीरिक अंग ठीक होते हुए महसूस करें। यह क्रिया आपको तब तक दोहरानी है जब तक आप पूरी तरह से ठीक नही हो जाते।


क्राउन/मुकुट चक्र जाग्रत होने के लक्षण

क्राउन चक्र हमारे शरीर में मौजूद 7 चक्रों में सबसे शक्तिशाली होता है और यह बहुत कम लोगो का जाग्रत होता है जिन लोगो का क्राउन चक्र जाग्रत होता है उनमे से ज्यादातर लोग प्रतिदिन मैडिटेशन करने वाले होते है।

क्राउन चक्र को जाग्रत करने के बहुत सारे तरीके होते है जो कि मैंने इस आर्टिकल में आपको बताये है लेकिन अब मैं आपको क्राउन चक्र जाग्रत होने के लक्षण के बारे में बताऊंगा।

क्राउन/मुकुट चक्र जाग्रत होने के निम्न लक्षण होते है

1. सिर में भारीपन महसूस होना
जिस व्यक्ति का क्राउन चक्र जाग्रत होता है उसे ध्यान करते समय सिर में चीटियाँ चलने या थोड़ा भारी-भारी महसूस होता है।

2. भविष्य का आभास होना
जिस व्यक्ति का क्राउन चक्र जाग्रत होता है उसे भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले ही थोड़ा बहुत आभास हो जाता है या फिर उसे सपने में कोई संकेत मिल जाते है।

3. संसारिक जीवन से लगाव कम होना
जब किसी व्यक्ति का क्राउन चक्र जाग्रत होता है तो उसका इस संसार से लगाव थोड़ा कम हो जाता है और उसे भगवान से जुडी बातों और देवीय स्थानों में ज्यादा लगाव होने लगता है। उसका संसारिक जीवन में कोई भी काम करने का मन नही करता।

4. त्याग और परोपकार की भावना प्रबल होना
क्राउन चक्र जाग्रत होने पर व्यक्ति अपने जीवन में बड़े-बड़े त्याग करने के लिए तैयार रहता है उसे सभी लोग अपने जैसे ही लगने लगते है और वह कभी भी किसी का बुरा नही सोच सकता।

5. ध्यान में खिंचाव महसूस होना
क्राउन चक्र जाग्रत होने पर व्यक्ति को ध्यान करते समय पीछे की तरफ खिंचाव महसूस होता है और कभी-कभी यह खिंचाव इतना ज्यादा होता है कि व्यक्ति को बैठने भी नही देता बल्कि उसे पीठ के बल लेटना पड़ता है।

6. एकांत में रहने की इच्छा होना
क्राउन चक्र जाग्रत व्यक्ति को एकांत अच्छा लगता है। वह भीड़-भाड़ वाली जगह से हमेशा दूर भागता है। यहाँ तक की उसे अपने परिवार जन के साथ भी ज्यादा देर तक रहना अच्छा नही लगता।

7. नींद का समय कम होना
जिस व्यक्ति के दिमाग में अधिक विचार चलते है उसका दिमाग अधिक थकता है और उसे अधिक देर तक सोना पड़ता है लेकिन क्राउन चक्र जागरण कि अवस्था में व्यक्ति के दिमाग में चलने वाले विचारों की संख्या बहुत कम हो जाती है इसलिए उसे अधिक थकान नही होती जिस कारण उसका नींद का समय कम हो जाता है।

8. शाकाहारी भोजन करने का मन करना
बहुत सारे लोग ऐसे है जिनको पहले मांसाहारी भोजन करना अच्छा लगता था परंतु मैडिटेशन करने के कारण जब उनका क्राउन चक्र जाग्रत हो जाता है तो उनका मांसाहारी भोजन से लगाव कम हो जाता है और वे धीरे-धीरे शाकाहारी भोजन करने लग जाते है।

9. आध्यात्मिक कार्यो में रूचि बढ़ना
जब किसी व्यक्ति का क्राउन चक्र जाग्रत होता है तो उसकी आध्यात्मिक कार्य करने में रूचि बढ़ने लगती है जैसे मंदिर जाने, रोज पूजा-पाठ करने आदि व्यक्ति का भगवान में विश्वास बढ़ने लगता है।

आज्ञा चक्र ( फ़ायदे / किन बातों का ध्यान रखें / ध्वनि ) - Ajna Chakra / Third Eye Chakra Healing in hindi


आज्ञा चक्र वह छठी इंद्रिय है जिसकी मदद से आप जिन चीजों को खुली आंखों से देख नहीं सकते, हाथों से छू नहीं सकते और कान से सुन नहीं सकते उसे भी महसूस कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आप उन सभी अदृश्य चीजों का अनुभव कर सकते हैं जो आपके आस पास हैं किन्तु आप उससे अनजान है.

आज्ञा चक्र को कुछ लोग इसे इनट्यूशन भी कहते हैं। तो, यदि कोई इतनी शक्तिशाली चीज़ आपके भीतर सुप्तावस्था में पड़ी हुई है तो उसे जगाने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए।

कुछ लोगों का कहना है कि इसे खोलना अत्यंत कठिन काम है, शायद ऐसा इसलिए क्योंकि तीसरी आंख का दूसरा नाम “सत्य” है और लोग सत्यता के साथ जीना भूल गए हैं। मेरा मानना है कि ये लोग कुछ हद तक सही है, सरल तो बिल्कुल नहीं है लेकिन नामुमकिन भी नहीं है।

 आज्ञा चक्र को संतुलित करने की ध्वनि

आज्ञा चक्र के खुलने से होने वाले फ़ायदे

यदि आप अभी भी संकोच में हैं कि आपको THIRD EYE ACTIVATION करना चाहिए या नहीं? तो, आगे पढ़िए शायद आपको बेहतर वजह मिल जाए।

१- जैसा कि हमने ऊपर देखा, यह शक्तियों का श्रोत है। जैसे ही आप उसे खोलने की दिशा में काम करना शुरू करते हैं, सारी सुप्त अलौकिक शक्तियां जागृत होने लगती हैं। उदाहरण के लिए, आपसे HEALING ENERGY हीलिंग ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। आपकी श्रवण, दृश्य, शक्ति प्रबल हो जाती है।

जब आप की तीसरी आंख खुल जाती है तो आप टेलीपैथी कर पाते हैं। टेलीपैथी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आप दूर बैठे किसी भी इंसान को अपना कोई संदेश विचारों द्वारा भेज सकते हैं। या कोई इंसान आपके बारे में कहीं बैठकर कुछ सोच रहा है या बातें कर रहा है तो आप उसे महसूस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, आप यह भी जान सकते हैं कि सामने वाला आपके लिए कुछ अच्छा सोच रहा है या बुरा।

२- आप अदृश्य, अनदेखी चीजों को भी देख सकते हैं। यहां पर मेरा कहने का तात्पर्य ऐसा है कि संसार में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां पर किसी न किसी शक्ति का वास हो। फिर चाहे वह नकारात्मक शक्ति हो चाहे सकारात्मक। जब आप की तीसरी आंख खुलती है तो आप किसी स्थान पर उपस्थित उस शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।

३- जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि आपको शक्तियों का अनुभव होने लगता है। इतना ही नहीं आपकी संवेदनशीलता इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि आप यह भी महसूस कर सकते हैं कि वहां पर उपस्थित शक्ति नकारात्मक है या सकारात्मक। Third eye activation in Hindi

४- सही गलत पहचानने की शक्ति में जबरदस्त तीव्रता आ जाती है। आपको ज्यादा कुछ आंकलन करने की जरूरत नहीं पड़ती। बस एक नज़र में आप सच जान लेते हैं अर्थात आपकी इन्ट्यूशन शक्ति बढ़ जाती है।

५- आप दूसरों का औरा आसानी से देख सकते हैं। औरा देखकर आप उसके विचारों को भी पहचान लेते हैं। औरा उर्जा का एक घेरा होता है जो हमारे शरीर के चारों तरफ होता है। हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हमारा औरा बनता है और वह हमें बाहर की उर्जा से सुरक्षित करता है।

आपने देवी-देवताओं के चित्र में देखा होगा उनके सिर के चारों तरफ एक चक्र सा दिखाई देता है उसे औरा कहते हैं। जो इंसान जैसा सोचता है उसके विचारों के हिसाब से अलग-अलग रंग की ऊर्जा से उसका औरा बनता है।

६- आपका बौद्धिक स्तर बढ़ जाता है, आप यह समझने लगते हैं कि सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है, कुछ भी अलग नहीं है। आपमें साक्षी भाव आ जाता है। आप परिस्थितियों को अपने नज़रिए से नहीं बल्कि वे जैसी हैं वैसे ही देखने लगते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि आप सुख दुःख की भावना से ऊपर उठकर आनंदित होकर जीने लगते हैं

७- तीसरी आंख खोलने का एक फायदा यह भी है कि आप परिस्थितियों के वश में नहीं होते हैं। अक्सर परिस्थितियों के हिसाब से लोगों का मानसिक संतुलन बनता और बिगड़ता रहता है। THIRD EYE ACTIVATION के बाद परिस्थितियां बिल्कुल भी आप पर हावी नहीं होती है।

आप किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, क्योंकि आपको पता होता है कि जो कुछ हो रहा है सब अच्छे के लिए हो रहा है। Third eye activation in Hindi

८- सारी नकारात्मक भावनाओं से आप मुक्त हो जाते हैं तथा आपका ह्रदय प्रेम से भर जाता है। आपको किसी पर गुस्सा नहीं आता ना ही नाराज़गी होती है क्योंकि आपकी समझ में ये आ जाता है कि सामने वाला यदि ऐसा है तो क्यों है? उदाहरण के तौर पर अगर आपका कोई मित्र या संबंधी जिसका व्यवहार आप को कभी पसंद नहीं आया।

जब आप की तीसरी आंख खुलने लगती है तो आपको बोध होने लगता है कि कोई भी व्यक्ति यदि ऐसा है तो क्यों है? वह उसके किसी पिछले जन्मों के कर्मों का फल हो सकता है या किसी परिस्थिति का परिणाम हो सकता है। जैसे ही आप को इस बात की अनुभूति होती है आप उस व्यक्ति को पसंद करने लगते हैं या फिर स्वीकार करने लगते हैं।

९- आप सिक्के के दोनों पहलुओं को देखना शुरू कर देते हैं। आपने देखा होगा कि जो लोग अध्यात्मिक हैं, वे किसी भी झगड़े में महीने उलझते हैं, कभी सोचा है ऐसा क्यों? ऐसा नहीं है कि उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं होता है, बल्कि उन्हें इस बात का एहसास होता है कि दोनों भी अपनी जगह सही हैं। किसी एक का पक्ष लेना दूसरे के लिए गलत हो सकता है, और झगड़े की परिस्थिति में कोई सुनने के लिए तैयार नहीं होता इसलिए ये शांत रहना उचित समझते हैं।

१०- तीसरी आंख खोलने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आप कर्मों के प्रति हमेशा सजग रहते हैं। जान-बूझकर कभी किसी का बुरा करना या कोई अन्य काम गलत मंशा से नहीं कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आपकी जगी हुई शक्तियां आपको सही कर्म करने के लिए ना सिर्फ प्रेरित करती हैं बल्कि आप को सही राह पर चलने की शक्ति भी प्रदान करती हैं

११- आप अधिक कृतज्ञ रहने लगते हैं। आपको हर परिस्थिति में उसमें छिपी अच्छाइयां नज़र आने लगती है। आपको किसी इंसान से, किसी परिस्थिति से कोई उम्मीद या शिकायत नहीं रह जाती है। जिसका परिणाम यह होता है कि आपके बिगड़े हुए रिश्ते भी सुधारने लगते हैं और अन्य रिश्तों में और भी मधुरता आ जाती है।

१२- आपकी तीसरी आंख खुलने का सबसे खूबसूरत अनुभव ये होता है कि आप भूतकाल में घटी घटनाओं के बारे में सोचना तो दूर, आप उसमे थोड़ी भी रुचि नहीं ले पाते हैं। यह मुझे एक खूबसूरत अनुभव इसलिए लगता है क्योंकि ज्यादातर इंसान भूतकाल में ही जीता है और अगर आप अपने आसपास देखेंगे तो सारी समस्याओं की जड़ भूतकाल की किसी घटना से जुड़ी होती है।

मनुष्य बहुत कोशिश करता है लेकिन उसे भूल नहीं पाता है किंतु तीसरी आंख के खुलते ही वह किसी भी पुरानी घटनाओं को चुटकियों में जाने देता है। ऐसा लगता है कि कोई है जो आपके विचारों को पीछे, भूतकाल में घटी घटनाओं को सोचने से रोक रहा है। जिसका परिणाम होता है कि आप वर्तमान में जीते हैं।

१३- आपका CONCENTRATION अर्थात फोकस बढ़ जाता है। आप अपने जीवन को एक मायने देने में इतना लग जाते हैं कि अन्य बातें और समस्याएं बहुत तुच्छ महसूस होने लगती हैं।

इतना ही नहीं, आप अपने असंभव से लगने वाले लक्ष्य को भी पा सकते हैं। यदि सारी बातों का निचोड़ एक वाक्य में कहूं तो आप अपनी उर्जा का सही सही प्रयोग करना सीख जाते हैं।

आज्ञा चक्र खुलने के संकेत या अनुभव

जैसे ही आपका आज्ञा चक्र खुलने लगता है आपको भिन्न भिन्न चीजों के नए नए अनुभव होने लगते हैं। जिनमें से कुछ अनुभव नीचे हैं।

१- किसी घटना के होने से पहले आपको उसका अनुभव होने लगता है, संकेत मिलने लगते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपने कोई घटना देखी जो अभी अभी घटित हुई है, किन्तु आपको लगेगा कि ये तो हमने पहले भी कहीं देखा है। अर्थात आपको पूर्वानुमान हो सकते हैं।

२- आपके माथे पर तनाव खिंचाव कभी कभी दर्द भी हो सकता है। दोनों भौंहें, भृकुटी के बिल्कुल मध्य, बीच माथे पर तीव्र तनाव का अनुभव होने लगे तो समझिए आपकी तीसरी आंख खुल रही है। Third eye activation in Hindi

३- आपके भोजन का चुनाव और समय बदल बदल सकता है। यदि आपको बाहर, होटल आदि के खानों में रुचि थी, या मांस- मदिरा में दिलचसपी थी तो अचानक वह खत्म हो सकती है। तली- भुनी चीजों के बजाय आपको सात्विक भोजन जैसे कि फल या फिर हरी सब्जियां या कच्चे और अंकुरित अन्न खाना अच्छा लग सकता है।

४- आप चीजों को अलग तरीके से देखने लगते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आपकी ऊर्जा एक दूसरे डायमेंशन में प्रवेश करने लगती है। जिन परिस्थितियों में पहले आप उत्तेजित हो जाया करते थे या आपको गुस्सा आ जाया करता था उन्हीं परिस्थितियों में अब आप शांत रहने लगते हैं। Third eye activation in Hindi

५- आपके ध्यान की गहराई बढ़ जाती है। कुछ अजीब गहरा और सुंदर अनुभव होने लगता है। आप इतनी गहराई में जाने लगते हैं जहां से आपको बाहर आने का मन नहीं करता है।
आपको शांत और अकेले रहना पसंद आने लगता है।

६- आपकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है। आप उर्जा के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं लोगों के प्रति अपने विचारों के प्रति दूसरों की भी भावनाओं के प्रति आप की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

७- जब तीसरी आंख खुल रही होती है तो आप एक अलग तरह का सिर दर्द अनुभव कर सकते हैं। जो माथे से होकर सिर के चारों तरफ़ महसूस हो सकता है, कुछ तनाव, खिंचाव सा हो रहा होता है। यदि आपको ऐसा महसूस हो तो खुद को बिल्कुल भी ढीला छोड़ दें तथा प्रकृति के सान्निध्य में समय बिताएं।

८- नींद की गहराई बढ़ जाती है। कई बार मनुष्य चाह कर भी सो नहीं पाता है। जब आप तीसरी आंख खोलने का प्रयत्न करते हैं तो आपके सोने और जागने दोनों के समय में परिवर्तन हो सकता है। इसका सबसे अच्छा अनुभव है कि। सुबह ३:३० से ४ के बीच नींद खुल जाती है।

९- आप एक अदृश्य शक्तिशाली तार दिखने लगता है जो परिस्थिति या मनुष्य को एक दूसरे से जोड़ता है। आपकी समझ में आने लगता है कि कुछ भी अलग नहीं हो रहा है बल्कि सारी घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। Third eye activation in Hindi

१०- आपको खास नंबर दिखाई दिख सकते हैं जैसे कि आप जितनी बार घड़ी पर नज़र डालते हैं आपको ११:११, १२:१२ , ०१:०१, ०४:०४ इत्यादि इस तरह के नंबर दिखने लगते हैं। इस तरह ने नंबर दिखने का अर्थ होता है कि आप एक समय के अलग डायमेंशन में प्रवेश कर रहे हैं।

११- MATERIAL THINGS सुख- सुविधाओं से आपका मन उठने लग सकता है। आपको प्रकृति तथा जीव जंतुओं के साथ समय बिताना अच्छा लगता है। यहां तक कि उनके साथ भी आपको एक जुड़ाव दिखाई दे सकता है।

ये कुछ अनुभव हैं जो ज्यादातर लोगों को हुए हैं। एक बात यहां पर मैं कहना चाहूंगी कि हर व्यक्ति को अलग अनुभव होता है और यह अनुभव उनके कर्मों के आधार पर होते हैं। यदि आपको ऐसे अनुभव नहीं होते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आपका ध्यान काम नहीं कर रहा है। आपको कुछ अलग अनुभव भी हो सकते हैं।

तीसरी आंख खोलने के लिए ध्यान की विधियां

सबसे पहले मैं एक बात साफ शब्दों में बता देना चाहती हूं कि इस दुनिया में जितने भी प्रकार के ध्यान किए जाते हैं सबसे आज्ञा चक्र खुलता है। अंतर सिर्फ इतना है कि कुछ ध्यान की पद्धति कम समय लेती है और कुछ अधिक समय लेती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यहां पर यह है कि आपके ध्यान का स्तर क्या है, समय सिर्फ उस पर निर्भर करता है।

मेरा आपको सुझाव रहेगा कि आप अपने आसपास कोई ध्यान केंद्र देखिए या किसी सही गुरू की तलाश कीजिए और GUIDANCE में ध्यान कीजिए। इस सुझाव के पीछे मेरी मंशा सिर्फ इतनी है कि तीसरी आंख खुलते समय जो अनुभव और सवाल खड़े होते हैं, उसका समाधान देने के लिए कोई उपलब्ध रहेगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ध्यान सिर्फ मेडिटेशन नहीं है बल्कि सही ज्ञान के साथ अगर ध्यान दिया जाए तो आपको उसका सही फायदा मिल सकता है। इसीलिए ध्यान के साथ-साथ सही ज्ञान का सेवन भी अत्यंत आवश्यक है। तो यदि आप अपनी तीसरी आंख खोलने की कोशिश कर रहे हैं तो साथ में भागवत गीता या कोई अन्य पुस्तक पढ़िए या किसी अध्यात्म गुरू के विचारों को सुनिए।

Third Eye Activation Technique in Hindi – तो चलिए देखते हैं कुछ विशेष ध्यान, जो मेरा मानना है आप की तीसरी आंख खोलने में सहायता कर सकेंगे।

१- पहला और सबसे महत्वपूर्ण विधि है राजयोग। उम्मीद है आपने राजयोग का नाम सुना होगा। मैंने इसे सबसे ऊपर इसलिए रखा है क्योंकि अपने अनुभवों से मैंने देखा है कि राज योग सिखाने की जो पद्धति होती है वह सर्वोच्च पद्धति है। राजयोग किसी मनुष्य द्वारा बनाई गई विधि नहीं है बल्कि यह विधि गीता में बताई गई परमात्मा की स्वयं की विधि है। Third eye activation in Hindi

इस विधि को सीखने के लिए कुछ खास मेहनत नहीं करनी पड़ती है जैसा के नाम ही कहता है राजयोग अर्थात राजाओं की तरह आप इस विधि को सीख सकते हैं। इस विधि में आत्मा और परमात्मा के योग का अनुभव कराया जाता है। साथ ही गीता ज्ञान दिया जाता है जिसका परिणाम यह होता है कि आपका योग जल्दी लगता है और आपकी तीसरी नेत्र खुलने में मदद होती हैं।

२- दूसरी विधि है Open Eye Meditation Or त्राटक विधि। इस विधि में आपको किसी एक स्थान पर आपके ध्यान को टिकाना रहता है। इसमें कोई शक नहीं किया विधिक कारगर है किंतु मेरा अनुभव है कि यह विधि लोगों को कठिन प्रतीत होती है। किंतु यदि आप कर सकते हैं तो इस विधि द्वारा आप अपनी तीसरी आंख को शीघ्र खोल सकते हैं।

३- तीसरी और सबसे आसान विधि रेकी साधना है इसके द्वारा भी आप अपनी तीसरी आंख खोल सकते हैं। यह विधि इसलिए सबसे आसान लगती है क्योंकि इसमें जब आप रेकी सीखते हैं तो आपका गुरु स्वयं आपके चक्रों को खोल देता है. Third eye activation in Hindi

आपको सिर्फ 21 दिन की साधना द्वारा उसका शुद्धीकरण करना होता है। लेकिन इन 21 दिनों में आपको कई सारे अनुभव होते हैं। तो यदि आप अपने किसी नजदीकी केंद्र पर जाकर रेकी सीख सकें तो आप की तीसरी आंख खोलने में मदद मिल सकती है।

५- HEART CHAKRA MEDITATION हृदय चक्र अर्थात अनाहत चक्र मेडिटेशन द्वारा भी आप आपकी third eye अर्थात तीसरी आंख खोल सकते हैं। इस ध्यान में आपको अपने INTENTIONS अर्थात संकल्प पर खास ध्यान देना होता है और अपने अनाहत चक्र की उर्जा को THIRD EYE अर्थात आज्ञा चक्र तक ले जाना होता है।


किन बातों का ध्यान रखें

१-अपनी जागृति शक्तियों का तमाशा ना बनाएं, जैसे कि किसी से यह कहना कि आपके मन में क्या चल रहा है मैं बता सकता हूं। या फिर आपकी जेब में कितने पैसे हैं या आप यहां किस मंशा से आए हैं। इस तरह के कर्म करके आप ना सिर्फ अपनी उर्जा नष्ट कर रहे होते हैं बल्कि अकर्म कर रहे होते हैं।

दूसरे शब्दों में कहूं तो आप अपनी शक्तियों का दूसरों के सामने दिखावा कर रहे होते हैं।

२- हमेशा अपनी शक्तियों के प्रति कृतज्ञ रहें। यहां पर मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहूंगी मान लीजिए कि कोई आपका शिष्य है। जिसे आपने सारे ज्ञान सिखा दिए लेकिन वह आप से भी आगे निकल गया। आज वह आपसे ज्यादा सफल है प्रसिद्ध है लेकिन जब कभी भी बात आती है वह अपनी सफलता का सारा श्रेय आपको दे देता है।

सोचिए, उस पल में आपको कैसा महसूस होता है? मुझे उम्मीद है आपको गर्व महसूस होता होगा और बहुत ही खुशी महसूस होती हुई होगी।

याद रखिए, हम इन शक्तियों को नहीं चुनते हैं बल्कि यह शक्तियां हमें चुनती हैं। इसलिए हमेशा इनके प्रति कृतज्ञ रहें, शुक्रिया अदा करें कि इन्होंने आपको चुना। अपने सुकर्मों का श्रेया खुद लेने के बजाय उस परमपिता परमेश्वर या प्रकृति अर्थात इन शक्तियों को सौंप दीजिए। Third eye activation in Hindi

३- अपनी शक्तियों का प्रयोग करने से पहले अपनी INTENTION यानी मंशा को चेक कीजिए कहीं उसमें कोई स्वार्थ तो नहीं है। ऐसी जगह शक्तियों का प्रयोग कीजिए जहां पर परमार्थ छिपा हो। अपनी ऊर्जा का सही जगह अगर आप प्रयोग करेंगे तो आपकी ऊर्जा का स्तर बढ़ता चला जाएगा।

४- यदि आप अपनी तीसरी आंख खोलने की कोशिश कर रहे हैं या आप की तीसरी आंख खुल रही है तो कृपया अपने खान-पान का ध्यान रखें। क्योंकि इसे भोजन तथा विचार सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। भोजन इसलिए क्योंकि वह आपके शरीर को सबसे ज्यादा ऊर्जा देता है तथा विचारों से आपके मन बुद्धि को भोजन से मिलता है तो अपने भोजन का खास ख्याल रखें। सात्विक विचार एवं सात्विक भोजन का सेवन करें

५- बेवजह किसी के झगड़े में या किसी वाद विवाद में ना फंसे। इससे आपकी वह ऊर्जा जिसे आप कहीं अच्छी जगह प्रयोग कर सकते थे, उसका गलत जगहों पर प्रयोग हो जाएगी। Third eye activation in Hindi

६- अपने संकल्पों पर विशेष ध्यान दें। क्योंकि आपके संकल्प विचारों में परिवर्तन होते हैं और फिर कर्मों में बदल जाते हैं। तो अपने संकल्प शुद्ध और परोपकारी रखें। ये संकल्प आप की तीसरी आंख खोलने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

७- तीसरी आंख के स्वामी अर्थात शिव जी जिन्हें भोलेनाथ के नाम से जाना जाता है। भोलेनाथ को भोले बच्चे बहुत पसंद होते हैं, इसलिए भोला बनें, मन को साफ रखें आत्मा को साफ रखें और बच्चे जैसे प्रवृत्ति बना लेंगे तो तीसरी आंख स्वत: खुल जाएगी।

८- सबसे महत्वपूर्ण बात अपने असली स्वरूप में रहिए। अपनी स्वरूप में रहने से मेरा तात्पर्य है कि आप जैसे हैं वैसे रहिए। किसी को खुश करने के लिए कोई दिखावा मत कीजिए। क्योंकि जब भी आप अपने मन के खिलाफ कुछ करेंगे यह आपकी तीसरी आंख बंद करने का काम करेगा। इसलिए जितने सच्चे रहेंगे उतनी जल्दी आप की तीसरी आंख खुल सकती है।

विशुद्ध चक्र ( फ़ायदे / समस्याएं / ध्वनि ) - Vishuddha Chakra / Throat Chakra in Hindi


विशुद्ध चक्र हमारे शरीर का पांचवा चक्र है। यह गले के कंठ के पास होता है और कंठ में सरस्वती का स्थान होता है। यह सोलह पंखुरियों वाला चक्र है।

सामान्यतौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे। यह चक्र हमारी रचनात्मक पहचान बनाने के लिए होता है। इसकी आकृति सोलह दलों वाले कमल के समान है। विशुद्ध चक्र पर मन की स्थित होने से मन विशुद्ध हो जाता है, इसीलिए इसका यह नाम है। यह चक्र आकाश तत्व का प्रधान है।

इस आर्टिकल में मैं आपको उन सभी तरीकों के बारे में बताऊंगा जिनसे आप जान पाएंगे कि अपने स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कर पाएंगे .

अनाहत-चक्र के संतुलित करने की ध्वनि

विशुद्ध चक्र का मंत्र

इस चक्र का मन्त्र होता है – हं। इस चक्र को जाग्रत करने के लिए आपको हं मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाना होता है।

विशुद्ध चक्र का स्थान 

विशुद्ध-चक्र हमरे गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे स्थित होता है जिसे english में Adam’s apple कहते हैं।

पांचवें चक्र की विशेषताएं


# मुझ में अपने शब्दों, कार्यों और कला के माध्यम से अपने आप को व्यक्त करने की क्षमता है ।

# मैं सच बोलने और मैं हमेशा दूसरों के लिए ईमानदार हूं।

# मैं सच सुनने में सक्षम हू

# मै जो भी काम करूं उससे संतुषट हूं|

# झूठ इस चक्र का दुश्मन हेै| अपने क्रम तथा वाणी से झूठ कार्य करते है जिससे हम इस चकर से जुडे हक का गलत उपयोग करते है जिस कारण हमें परेशानी होती है|अगर हम ऐसा नहीं करते तो हम आराम से शांति से रह पाएगें|

विशुद्ध चक्र से जुडी समस्या

विशुद्ध चक्र एक पुल की तरह काम करता है जो की शरीर और मन को जो्डता है. विशुद्ध चक्र के संतुिलत होने से हम ख़ुद को खुल कर वयक्त करते है | हम दूसरों को भी शांति से सुनते है| हमारे अंदर भी सब शांत रहेगा तथा सब तरफ से सुकुन मिलेगा हमारी सचाई दुनिया देखेगी.

अगर विशुद्ध में कमी है, हम अर्थपूर्ण नहीं हो सकते। संचार का पुल टूट सकता है और हमें बाहरी दुिनया से नुकसान पहुंचा सकता है । हमारी सत्यवािदता कम हो जाएगी ।

अगर विशुद्ध अत्यधिक है, हम बातूनी और ज्यादा से ज्यादा अर्थपूर्ण बन सकतें है। हम बेकार और अंतहीन बातचीत करते हैं जो की अधिकार का दुरुपयोग होगा।

योग के साथ पांचवें चक्र को स्वस्थ करना

आप योग से अपने विशुद्ध चक्र में स्थिरता और संतुलन ला सकते हेै और अपने पांचवें चक्र को ठीक कर सकते है.

इसके अलावा ओम शब्द का गहन जाप पूरे ध्यान से करें | अगर आपको लगता है की आपकी अभिव्यक्ति ठीक नहीं है तो ओम के उच्चारण से आपका गले का चक्र स्वस्थ हो जाएगा और आप अपने आप को आसानी से अभिव्यक्त कर पाओगे.

अनाहत चक्र ( फ़ायदे / समस्याएं / ध्वनि ) - Anahata Chakra / Heart Chakra Healing in Hindi


अनाहत चक्र का अर्थ होता है खुला हुआ अथवा अजेय। यह हमारे शरीर का चौथा मुख्य चक्र होता है। इस चक्र का सीधा सबंध प्रेम से होता है क्यूंकि यह चक्र ह्रदय के पास होता है। और ह्रदय प्रेम से जुड़ा हुआ होता है। तो मनुष्य अपने जीवन में जितना भी प्रेम बढ़ाएगा अनाहत चक्र उतना हीं सक्रीय होता जाएगा। इसका समान रूप तत्व वायु है। वायु प्रतीक है-स्वतंत्रता और फैलाव का। इसका अर्थ है कि इस चक्र में हमारी चेतना अनंत तक फैल सकती है। हृदय स्थल में स्थित स्वर्णिम वर्ण का द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अनाहत चक्र का प्रतीक पशु कुरंग (हिरण) है जो अत्यधिक ध्यान देने और चौकन्नेपन का हमें स्मरण कराता है।

इस आर्टिकल में मैं आपको उन सभी तरीकों के बारे में बताऊंगा जिनसे आप जान पाएंगे कि अपने स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कर पाएंगे .


अनाहत-चक्र के संतुलित करने की ध्वनि


अनाहत-चक्र का मंत्र

इस चक्र का मन्त्र होता है – यं। इस चक्र को जाग्रत करने के लिए आपको लं मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाना होता है।

अनाहत-चक्र का स्थान

चक्र छाती के मध्य भाग पर स्थित होता है।

अनाहत-चक्र जागृत करने की विधि

यह चक्र ह्रदय के पास होता है इसलिए हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।

अनाहत-चक्र मनुष्य के अन्दर जागृत होने के प्रभाव

जब अनाहत-चक्र मनुष्य के अन्दर जागृत हो जाता है तो व्यक्ति के अंदर चिंता , भय , मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। अथार्त व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। जब यह चक्र जागृत होता है तो व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता हैं।
 
इस चक्र के जागृत होने पर ही व्यक्ति को बहुत सी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती है। जिससे व्यक्ति को ब्र्ह्मबान्दीय उर्जा से शक्ति प्राप्त होती है। अगर यह चक्र मनुष्य के अंदर जागृत हो जाता है तो मनुष्य सूक्ष्म रूप धारण कर सकता है और उसको अपना शरीर त्यागने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। इससे वायु तत्व से सभंदित सिद्धियाँ प्राप्त होती है। श्रधा प्रेम जागृत हो उठता है। अनाहत चक्र में बारह पंखुडिय़ों का एक कमल है। यह हृदय के दैवीय गुणों जैसे परमानंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता, शुद्धता, एकता, अनुकंपा, दयालुता, क्षमाभाव और सुनिश्चिय का प्रतीक है। तथापि, हृदय केन्द्र भावनाओं और मनोभावों का केन्द्र भी है।

अनाहत चक्र असंतुलित होंने के नुक्सान

१- जिनका अनाहत चक्र असंतुलित होता है वे लोग शर्मीले किस्म के होते तथा तथा अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते हैं।

२- अकेले रहने वाले या अकेले रहना पसंद करने वाले लोगों का अनाहत चक्र बंद होता है।

३- अनाहत चक्र Heart Chakra के असंतुलित होने की वजह से मनुष्य पुरानी बातों को पकड़कर बैठता है, माफ़ नहीं करता तथा बदले की भावना होती है।

४- कुछ लोगों को दूसरों से सहानुभूति लेना अथवा खुद को तारीफ़ सुनना पसंद होता है, ऐसे लोगों का भी अनाहत चक्र में ब्लॉकेज होता है।

५- ऐसे लोग कठोर स्वभाव के होते हैं। उनमें दया भाव की कमी होती है तथा हमेशा खुद का अच्छा सोचते हैं, भले ही उसमें दूसरों का नुकसान हो।

६- किसी पुरानी कड़वी बातों अथवा रिश्तों में खटास को पकड़े रहने पर भी अनाहत चक्र का असंतुलन होता है तथा भविष्य में दूसरों पर विश्वास करना मुश्किल होता है।

७- दूसरों को हमेशा नीचा दिखाना तथा स्वयं को सर्वोपरि बताने वाले लोगों का भी Heart Chakra अनाहत चक्र असंतुलित होता है।

मणिपुर चक्र ( फ़ायदे / समस्याएं / ध्वनि) - Manipura Chakra / Solar Plexus Chakra Healing in Hindi


मणिपुर चक्र शरीर के चक्र क्रम में तीसरा चक्र है। मणिपुर चक्र को नाभि चक्र भी कहते हैं। इस चक्र के देवता भगवान रूद्र है तीन आँखों वाले शरीर में विभूति लगी हुई इनका सिंदूरी वर्ण है (मतान्तर से इस चक्र के अभीष्ट देवता ब्रह्मा जी हैं ब्रह्मा जी भगवान विष्णु के नाभि-कमल से उत्पन्न हुए है और जिव-श्रृष्टि के निर्माता भी यही हैं ) यह चक्र मणि+पुर नामक शब्द से बना है मणि अर्थात मोती और पुर का अर्थ है शहर, इसे सौर जाल भी कहते हैं। यह स्वास्थ्य, सुरक्षा, ओज और तेज तत्व प्रदान करने वाला चक्र है। इसे सूर्य चक्र भी कहते हैं। इस चक्र की देवी लाकिनी हैं जो सब का उपकार करने वाली हैइनका रंग काला वस्त्र पिले हैं देवी आभूषण से सजी अमृतपान के कारण आनंदमय हैं। इस चक्र का तत्व है अग्नि और रंग है पीला. पिला रंग प्राण उर्जा, आत्मा तथा बुद्धि का प्रतीकात्मक रंग है। यह चक्र कमल के दश पंखुड़ियों के प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया जाता है यह दश पंखुडियां दस अत्यावश्यक महत्वपूर्ण शक्तियाँ है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाये
रखने में उसकी मदत करती हैं। यह चक्र आत्म विश्वास, आत्म आश्वासन, स्पष्ट विचार, ख़ुशी तथा ज्ञान-बुद्धि, स्वास्थ्य और व्यक्ति के उचित निर्णय लेने की शक्ति का है।

यह चक्र नाभि मूल अर्थात नाभि से थोड़ा ऊपर स्थित होता है। यह चक्र शरीर का केंद्रबिंदु है और व्यक्ति की चेतना का भी केंद्रबिंदु है। और यही चक्र शरीर के अन्दर की उर्जा का संतुलन भी करता है।

इस आर्टिकल में मैं आपको उन सभी तरीकों के बारे में बताऊंगा जिनसे आप जान पाएंगे कि अपने स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कर पाएंगे . 

मणिपुर चक्र के संतुलित करने की ध्वनि



मणिपुर चक्र के संतुलित होंने के फ़ायदे

मणिपुर चक्र जब संतुलित होकर सही ढंग से कार्य करने
लगता है तब व्यक्ति के अन्दर से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली,
लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि अवरोधक तत्व दूर हो जाते
हैं। व्यक्ति खुद को तथा दूसरों को प्यार करता है तथा
उनका सम्मान करने लगता है । यह चक्र मूल रूप से
आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए
आत्मवान होना बहोत जरुरी है। आत्मवान होने के लिए
आत्मशक्ति का अनुभव करना जरुरी है कि आप शरीर
नहीं आत्मा हैं।


मणिपुर चक्र का शरीर के अंग भाग पर अधिकार

यह चक्र मुख्य रूप से अग्नाश्य (Pancreas) तथा पाचन क्रिया (Digestive System) के कार्य प्रणाली को संचालित करता है जो जठराग्नि द्वारा भोजन को उर्जा में परिवर्तित करता है। यह पेट, यकृत (Liver) बड़ी आंत को नियंत्रित करता है! इस चक्र असंतुलित होने पर जठराग्नि की अग्नि मंद पड़ जाती है फिर भोजन पचने के बजाय सड़ता है जिससे धीरे धीरे बिमारियों का पदार्पण व्यक्ति के शरीर में होने लगता है।


मणिपुर चक्र के दूषित होने पर होने वाली बीमारियाँ

जैसे - पाचन संबंधी रोग, अजीर्ण, मधुमेह (Sugar) उच्च रक्तचाप, पेस्टिक, अल्सर, अल्परक्तशर्करा, कब्ज, आंत्रकृस्मृतिदोष, , थकान व पेट की लगभग सभी प्रकार की बीमारियाँ ।

अगर यह चक्र कम गतिशील है तो घबराहट, भय, डरपोकपन, आत्मविश्वास की कमी, अशांत, हमेशा असफलता का डर, निर्णय न ले पाने कमी, असुरक्षा की भवना, आत्महत्या के विचार आदि आना जैसे भावनात्मक मामले भी देखे जाते हैं। वहीं अगर यह चक्र असंतुलित होकर ज्यादा गति से कार्य करता है, तो व्यक्ति में आक्रामकता, अधिक उर्जा जिसको नियंत्रित करने की आवस्यकता होती है येसे व्यक्ति आलोचनात्मक व तेज- मिजाज प्रवित्ति के हो जाते हैं। अगर यह प्रबंध आदि का कार्य देखते हैं तो जरुरत से अधिक कार्य में डूबे रहते हैं व अपने अधिनस्त कर्मचारियों को डरा धमकाकर रखने का निरंतर प्रयाश करते हैं।

स्वाधिष्ठान चक्र ( फायदे / समस्याएं / ध्वनि) - Swaddishthana Chakra / Svadhisthana Chakra / Sacral Chakra in Hindi


अगर आपका जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है और आप अपना जीवन लक्ष्य खोजना चाहते है, तो आपको अपना स्वाधिष्ठान चक्र बैलेंस/जाग्रत करना पड़ेगा। इसके अलावा अगर आपको सेक्सुअल ऑर्गन, लिवर, किडनी, पेनक्रियाज, एड्रिनल ग्रंथि, रीड की हड्डी का मध्य हिस्सा आदि में कोई भी परेशानी है तो इसका मतलब है कि आपका स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत नही है

इस आर्टिकल में मैं आपको उन सभी तरीकों के बारे में बताऊंगा जिनसे आप जान पाएंगे कि अपने स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कर पाएंगे  

स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की ध्वनि



स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत होने के फायदे

हमारे शरीर में 7 चक्र होते है, प्रत्येक चक्र के जाग्रत होने के अलग-अलग फायदे होते है आपको इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

  • हमेशा खुशी महसूस करना और अच्छे इमोशन होना
  • लोगों से मिलना-जुलना अच्छा लगेगा
  • आत्मविश्वास अच्छा होगा
  • समाज के लोगों के साथ मिलजुलकर रहेंगे
  • आप अपने आपको आजाद महसूस करेंगे
  • जीवन में एक लक्ष्य होगा
  • लोगों कि भीड़ से अलग दिखने की चाहत होगी
  • अच्छे खान-पान तथा नए वस्त्रों में रुचि होगी
  • अपनी रूचि के अनुसार कार्य करेंगे

स्वाधिष्ठान चक्र अस्थिर् होने पर होने वाली समस्याएं

शारीरिक समस्याएं

  • पेशाब से संबंधित समस्याएं
  • निसंतानता, शुक्राणु का कम होने कि समस्या
  • एलर्जी और अस्थमा की समस्या हो सकती है
  • पेट से संबंधित समस्याएं

मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • नशा करने का मन करना, ड्रग्स लेना आदि
  • बिना किसी बात के चिंता करना, तनावग्रस्त होना
  • खुद के प्रति नफरत पैदा होना
  • नेगेटिव सोच होना
  • आपके अंदर की क्रिएटिविटी खत्म हो जाना
  • सेक्सुअलिटी से संबंधित नेगेटिव विचार आना

मूलाधार चक्र ( फायदे / लक्षण / ध्वनि ) - Muladhara Chakra / Root Chakra in hindi



मूलाधार चक्र हमारे शरीर में रीड की हड्डी के सबसे निचले हिस्से में स्थित होता है। सभी 7 चक्र रूट चक्र पर ही टिके होते हैं। इसलिए इसे “मूलाधार चक्र” भी कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नही रहता या जिसको आत्महत्या के विचार आते है तो इसका मतलब है कि उसका मूलाधार चक्र बैलेंस नही है।

हमारे शरीर में मौजूद 7 चक्रों की लोकेशन, रंग, कार्य, मैडिटेशन, जाग्रत करने के तरीके के बारे में विस्तार से आर्टिकल लिखा है अगर आपने उसे नहीं पढ़ा है तो जरुर पढ़े और ध्वनि से जाग्रत करें.

मूलाधार चक्र को जाग्रत करने की ध्वनि




मूलाधार चक्र के जाग्रत होने के फायदे

  • व्यक्ति का जमीन से जुड़ाव, आत्मविश्वास से भरपूर तथा साहसी होता है।
  • मूलाधार चक्र पृथ्वी, संस्कृति तथा जीवन से संबंधित है।
  • यह चक्र हमारे अंदर जीवन जीने की इच्छा पैदा करता है।
  • मनुष्य में सुरक्षा की भावना तथा साहस जैसे गुण विकसित होते हैं।
  • व्यक्ति सेहतमंद तथा फुर्तीला होता है।
  • व्यक्ति दूसरों पर विश्वास करता है।
  • व्यक्ति में किसी भी कार्य को करने की हिम्मत होती है।
  • व्यक्ति प्रैक्टिकल व्यक्तित्व वाला होता है।

मूलाधार चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

मूलाधार चक्र अगर जाग्रत नहीं होगा तो व्यक्ति को इससे जुड़े अंगों में समस्या हो सकती है। जैसे

  • रीड कि हड्डी का निचला हिस्सा
  • पैर, घुटने आदि
  • ब्लड सरकुलेशन सिस्टम
  • घुटने से संबंधित समस्या

नोट : मूलाधार चक्र अधिकतर पुरुषों का बैलेंस/जाग्रत होता है। जबकि अधिकतर महिलाओं का अस्थिर् होता है इसी कारण 40 वर्ष से अधिक की महिलाओं को घुटने में दर्द, हड्डियों की समस्या तथा कैल्शियम की कमी हो जाती है।

रूट चक्र या मूलाधार चक्र के अस्थिर् होने के लक्षण

  • व्यक्ति का जीवन जीने से भरोसा उठ जाता है।
  • आत्महत्या जैसे विचार आते हैं।
  • व्यक्ति में साहस की कमी होती है।
  • सेहत अच्छी नहीं रहती तथा फुर्तीलापन भी नहीं होता।
  • व्यक्ति को दूसरे पर विश्वास नहीं होता।
  • मूलाधार चक्र के बैलेंस ना होने पर होने वाली समस्याएं
  • खून की कमी होना।
  • थकावट होना।  
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना।  
  • तनाव, घबराहट, कॉन्स्टिपेशन होना।
  • असुरक्षित महसूस करना।
  • सर्दी लगना तथा हाथ पैर ठंडे रहना।
  • शियेटिका नाड़ी में दर्द रहना।