विशुद्ध चक्र ( फ़ायदे / समस्याएं / ध्वनि ) - Vishuddha Chakra / Throat Chakra in Hindi


विशुद्ध चक्र हमारे शरीर का पांचवा चक्र है। यह गले के कंठ के पास होता है और कंठ में सरस्वती का स्थान होता है। यह सोलह पंखुरियों वाला चक्र है।

सामान्यतौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे। यह चक्र हमारी रचनात्मक पहचान बनाने के लिए होता है। इसकी आकृति सोलह दलों वाले कमल के समान है। विशुद्ध चक्र पर मन की स्थित होने से मन विशुद्ध हो जाता है, इसीलिए इसका यह नाम है। यह चक्र आकाश तत्व का प्रधान है।

इस आर्टिकल में मैं आपको उन सभी तरीकों के बारे में बताऊंगा जिनसे आप जान पाएंगे कि अपने स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कर पाएंगे .

अनाहत-चक्र के संतुलित करने की ध्वनि

विशुद्ध चक्र का मंत्र

इस चक्र का मन्त्र होता है – हं। इस चक्र को जाग्रत करने के लिए आपको हं मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाना होता है।

विशुद्ध चक्र का स्थान 

विशुद्ध-चक्र हमरे गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे स्थित होता है जिसे english में Adam’s apple कहते हैं।

पांचवें चक्र की विशेषताएं


# मुझ में अपने शब्दों, कार्यों और कला के माध्यम से अपने आप को व्यक्त करने की क्षमता है ।

# मैं सच बोलने और मैं हमेशा दूसरों के लिए ईमानदार हूं।

# मैं सच सुनने में सक्षम हू

# मै जो भी काम करूं उससे संतुषट हूं|

# झूठ इस चक्र का दुश्मन हेै| अपने क्रम तथा वाणी से झूठ कार्य करते है जिससे हम इस चकर से जुडे हक का गलत उपयोग करते है जिस कारण हमें परेशानी होती है|अगर हम ऐसा नहीं करते तो हम आराम से शांति से रह पाएगें|

विशुद्ध चक्र से जुडी समस्या

विशुद्ध चक्र एक पुल की तरह काम करता है जो की शरीर और मन को जो्डता है. विशुद्ध चक्र के संतुिलत होने से हम ख़ुद को खुल कर वयक्त करते है | हम दूसरों को भी शांति से सुनते है| हमारे अंदर भी सब शांत रहेगा तथा सब तरफ से सुकुन मिलेगा हमारी सचाई दुनिया देखेगी.

अगर विशुद्ध में कमी है, हम अर्थपूर्ण नहीं हो सकते। संचार का पुल टूट सकता है और हमें बाहरी दुिनया से नुकसान पहुंचा सकता है । हमारी सत्यवािदता कम हो जाएगी ।

अगर विशुद्ध अत्यधिक है, हम बातूनी और ज्यादा से ज्यादा अर्थपूर्ण बन सकतें है। हम बेकार और अंतहीन बातचीत करते हैं जो की अधिकार का दुरुपयोग होगा।

योग के साथ पांचवें चक्र को स्वस्थ करना

आप योग से अपने विशुद्ध चक्र में स्थिरता और संतुलन ला सकते हेै और अपने पांचवें चक्र को ठीक कर सकते है.

इसके अलावा ओम शब्द का गहन जाप पूरे ध्यान से करें | अगर आपको लगता है की आपकी अभिव्यक्ति ठीक नहीं है तो ओम के उच्चारण से आपका गले का चक्र स्वस्थ हो जाएगा और आप अपने आप को आसानी से अभिव्यक्त कर पाओगे.