मूलाधार चक्र हमारे शरीर में रीड की हड्डी के सबसे निचले हिस्से में स्थित होता है। सभी 7 चक्र रूट चक्र पर ही टिके होते हैं। इसलिए इसे “मूलाधार चक्र” भी कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नही रहता या जिसको आत्महत्या के विचार आते है तो इसका मतलब है कि उसका मूलाधार चक्र बैलेंस नही है।
हमारे शरीर में मौजूद 7 चक्रों की लोकेशन, रंग, कार्य, मैडिटेशन, जाग्रत करने के तरीके के बारे में विस्तार से आर्टिकल लिखा है अगर आपने उसे नहीं पढ़ा है तो जरुर पढ़े और ध्वनि से जाग्रत करें.
मूलाधार चक्र को जाग्रत करने की ध्वनि
मूलाधार चक्र के जाग्रत होने के फायदे
- व्यक्ति का जमीन से जुड़ाव, आत्मविश्वास से भरपूर तथा साहसी होता है।
- मूलाधार चक्र पृथ्वी, संस्कृति तथा जीवन से संबंधित है।
- यह चक्र हमारे अंदर जीवन जीने की इच्छा पैदा करता है।
- मनुष्य में सुरक्षा की भावना तथा साहस जैसे गुण विकसित होते हैं।
- व्यक्ति सेहतमंद तथा फुर्तीला होता है।
- व्यक्ति दूसरों पर विश्वास करता है।
- व्यक्ति में किसी भी कार्य को करने की हिम्मत होती है।
- व्यक्ति प्रैक्टिकल व्यक्तित्व वाला होता है।
मूलाधार चक्र से जुड़े शारीरिक अंग
मूलाधार चक्र अगर जाग्रत नहीं होगा तो व्यक्ति को इससे जुड़े अंगों में समस्या हो सकती है। जैसे
- रीड कि हड्डी का निचला हिस्सा
- पैर, घुटने आदि
- ब्लड सरकुलेशन सिस्टम
- घुटने से संबंधित समस्या
नोट : मूलाधार चक्र अधिकतर पुरुषों का बैलेंस/जाग्रत होता है। जबकि अधिकतर महिलाओं का अस्थिर् होता है इसी कारण 40 वर्ष से अधिक की महिलाओं को घुटने में दर्द, हड्डियों की समस्या तथा कैल्शियम की कमी हो जाती है।
रूट चक्र या मूलाधार चक्र के अस्थिर् होने के लक्षण
- व्यक्ति का जीवन जीने से भरोसा उठ जाता है।
- आत्महत्या जैसे विचार आते हैं।
- व्यक्ति में साहस की कमी होती है।
- सेहत अच्छी नहीं रहती तथा फुर्तीलापन भी नहीं होता।
- व्यक्ति को दूसरे पर विश्वास नहीं होता।
- मूलाधार चक्र के बैलेंस ना होने पर होने वाली समस्याएं
- खून की कमी होना।
- थकावट होना।
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना।
- तनाव, घबराहट, कॉन्स्टिपेशन होना।
- असुरक्षित महसूस करना।
- सर्दी लगना तथा हाथ पैर ठंडे रहना।
- शियेटिका नाड़ी में दर्द रहना।